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प्रश्नोत्तर - प्रवचन- ११
आदमी किनारे पर लंगड़ा होकर पड़ा है । अगर महावीर उसके पैर दबाएं, तो हम पैसे के सिक्के पहचानने वाले लोग, एक फोटो निकाल देंगे, अखबार में छाप देंगे कि बड़ा अद्भुत सेवक है महावीर । लेकिन महावीर चुपचाप चले गए हैं । वह जो लंगड़ा पड़ा है किनारे पर, जरूर हो यह कहेगा कि यह कैसा आदमी है । मैं यहां लंगड़ा पड़ा है और यह चुपचाप चला जा रहा है । लेकिन उसके चुपचाप चलने में इतनी किरणें झर सकती है, इतनी तरंगें पैदा हो सकती हैं, इतना दान हो सकता है जितना कि हाथ का प्रयोग करने से नहीं । क्योंकि महावीर की गहरी से गहरी दृष्टि यह है कि जो शरीर नहीं है उसे शरीर से कोई सहायता नहीं पहुंचाई जा सकती। वह जो लंगड़ा पड़ा है वह पैर से लंगड़ा है । लेकिन हमें ख्याल नहीं है इस बात का कि दुःख के लंगड़े होने से नहीं पहुंचता । मैं पैर से लंगड़ा हूँ, इस चित्त के भाव से, इस आत्मभाव से पहुंचता है और जरूरी नहीं है कि उस लंगड़े का आप पैर ठीक कर दें तो कोई लाभ हो जायगा । महावीर को क्या जरूरी है, यह वह जानते हैं। जानने का मतलब यह है कि वे जितनी करुणा उस पर फेंक सकते हैं, फेंक कर चले जाएंगे ।
पैर
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मैंने सुना है कि सूफी फकीर को एक रात किसी फरिश्ते ने दर्शन दिए और कहा कि परमात्मा तुम पर बहुत खुश है और कुछ मांग लो तो वह वरदान दे देगा । पर उसने कहा कि जब परमात्मा खुश है तो इससे बड़ा वरदान और क्या हो सकता है । बात खत्म हो गई, मिल गया जो मिलना था । लेकिन उस फरिश्ते ने कहा : "नहीं, ऐसे काम नहीं चलेगा ? कुछ मांगो।" तो उसने कहा कि अब कोई कमी ही न रही, जब परमात्मा खुश है तो कमी क्या रही : और जब परमात्मा हो खुश है तब खुशी ही खुशी है, दुःख आएगा कहाँ से ? तो अब मैं माँगू क्या ? अब मुझे भिखारी मत बनाओ, अब तो मैं सम्राट् हो गया । अगर तुम नहीं मानते हो तो तुम्ही दे जाओ जो तुम्हारी इच्छा है । उस फरिश्ते ने कहा कि मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि तुम जिसको छू दो, मरा हो तो जिन्दा हो जाए, बीमार हो तो स्वस्थ हो जाए, सूखा वृक्ष हो तो हरे पत्ते निकल आएँ,' हरे फूल निकल आएँ । उसने कहा कि यह देते हो मुझे मत दो, कहीं मुझे ऐसा न लगने लगे कि मेरे हाथ कोई बीमार ठीक हुआ क्योंकि बीमार को तो फायदा हो जायगा किन्तु मुझे नुकसान हो जाएगा । तब फरिश्ते ने कहा कि और क्या उपाय हो सकता है । उस फकीर ने कहा कि मेरी छाया को दे दो कि मैं जहाँ से निकलूं, अगर छाया पड़ जाए किसी वृक्ष पर और वह सूखा हो तो हरा हो जाए लेकिन मुझे दिखाई भी न पड़े क्योंकि मैं तब
तो ठीक है लेकिन सीधा
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