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प्रश्नोत्तर - प्रवचन- १५
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था
कि लन्दन पर गिरता, न्यूयार्क पर गिरता, मास्को पर गिरता । एक बात पक्की थी कि आइंस्टीन के बिना वह कहीं भी न गिर सकता था जहाँ आइंस्टीन होता वह वहीं उसके काम में आने वाला था । आज दुनिया में दसबारह वैज्ञानिकों की इतनी कीमत है कि अरबों रुपये देकर एक वैज्ञानिक को चुरा लेना काफी बड़ी बात है । खरबों खर्च हो जाएं, कोई फिक्र नहीं है । वैज्ञानिक से रहस्य लेना काफी बड़ी बात है क्योंकि वह सिर्फ दस-बारह लोगों के हाथ में है । जिस तरह से पदार्थ विज्ञान सम्बन्ध में यह स्थिति हो गई है, ठीक वैसी स्थिति हो आज अध्यात्म-विज्ञान की है। मुश्किल से दुनिया में दो-चार लोग हैं जो उस गहराई पर समझते हैं । लेकिन उनके पास भी हजारों वर्षो के अनुभव का सार नहीं है ।
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एक आदमी था गुरजिएफ । उसने अपनी जिन्दगी के पहले वर्ष एक अद्भुत खोज में लगाए, जैसा इस सदी के किसी आदमी ने नहीं किया, पिछली सदियों में भी किसी ने नहीं किया । पन्द्रह-बीस मित्रों ने यह निर्णय लिया कि वे दुनिया के कोने-कोने में, जहां भी आध्यात्मिक सत्य छिपे हैं, चले जाएं और उन सत्यों को खोजकर लौट आएं और मिलकर अपने अनुभव बता दें ताकि एक सुनिश्चित विज्ञान बन सके। यह बीस आदमी दुनिया के कोने-कोने में चले गए; कोई तिब्बत में, कोई भारत में, कोई ईरान में, कोई ईजिप्ट में, कोई यूनान में, कोई चीन में, कोई जापान में । ये सारी दुनिया में फैल गए। इन बीसों आदमियों ने बड़ी खोज की, पूरी जिन्दगी लगा दी क्योंकि आदमी की जिन्दगी बहुत छोटी है, जो जानने को है वह बहुत ज्यादा है। अब अगर एक आदम सूफियों के पास सोखने को जाये तो पूरी जिन्दगी लग जाती है क्योंकि व्यवस्था के अनुसार एक फकोर एक सूत्र सिखाएगा, वर्ष लगा देगा, दो वर्ष लगा देगा, फिर कहेगा कि अब तुम फलां आदमी के पास चले जाओ । अब तुम दूसरे फकीर के पास चले जाओ और वर्ष भर सेवा करो उसकी । हाथ-पैर दाबो उसके । वह जो कहे मानों क्योंकि कुछ बातें ऐसी हैं कि वे तुम्हें तभी दी जा सकती हैं जब तुम धैर्य दिखलाओ; नहीं तो तुम उसके योग्य नहीं । अगर तुम धैर्यहान हो गए तो वे चोजें तुम्हें नहीं दी जा सकती । उन बीस लोगां ने सारो दुनिया मे खाज-बोन का ओर वे बीस लोग बूढ़े होते-होते लौटकर मिले। उनमें से कुछ मर गए, कुछ लोटे नहीं । कहीं खो गए, पता नहीं चला। लेकिन उनमें से चार लोटे | उन्होंने जो सूचनाएं दों उनके आधार पर गुरजिएफ ने एक पूरी साइंस खड़ी को उसमें उन सूत्रों की पकड़ उसके हाथों में आई जो सारी दुनिया में फैले हुए हैं ।