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________________ ४२६ ऐसे स्वप्न देखता है जिनमें काम होगा। एक आदमी लोभी है तो वह ऐसे स्वप्न देखता है जिनमें लोभ होगा। स्वप्न वे ही हैं जो व्यक्ति के चित्त की अवस्थाएं हैं । महावीर जैसा व्यक्ति पैदा होना है तो वह साधारण मनोदशा में पैदा नहीं हो जाता । उसके माता पिता के भीतर चित्त की, शरीर को एक विशिष्ट अवस्था जरूरी है तभी वैसी आत्मा प्रवेश कर सकती है। और उसके पहले के लक्षण भी जरूरी हैं। वे लक्षण भी होने चाहिएं। प्रतीक हैं वे लक्षण । वे इस बात की खबर देते हैं कि चित्त कैसा है। फ्रायड कहता है कि अगर कोई आदमी स्वप्न में मछली देखता है तो वह सेक्स का प्रतीक है। हजारों स्वप्नों का अध्ययन करने के बाद यह नतीजा निकाला गया कि स्वप्न में मछलो देखना सेक्स से सम्बन्धित है। मछली जननेन्द्रिय का प्रतीक है। गलत भी हो सकता है उसका ख्याल । लेकिन हजार स्वप्न अध्ययन किए हैं जिसने उसे ऐसा लगता है कि यह हो सकता है। अभी तक महावीर के स्वप्नों या बुद्ध के स्वप्नों का कोई मनोवैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ। उनकी माताओं के स्वप्नों का अध्ययन हो सकता है। लेकिन बड़ी कठिनाई यह है कि ऐसे व्यक्ति बड़ी संख्या में पैदा नहीं हुए । इसलिए तालमेल बिठाने के लिए उपाय नहीं है हमारे पास । तोल नहीं बिठाई जा सकती। कहा जाता है कि महावीर की मां को स्वप्न में सफेद हाथी दिखाई पड़े। साधारणतः सफेद हाथी दिखाई नहीं पड़ते। आप इतने लोग यहाँ बैठे है शायद ही किसी को स्वप्न में हाथी दिखाई पड़ा हो। और सफेद हाथी दिखाई पड़े तो यह सम्भावना और न्यून हो जाती है। महावीर की मां को अगर सफेद हाथी दिखाई पड़ा है तो यह अपवाद ही है। अगर इस तरह के सो-दो सौ स्वप्न अध्ययन न किए जा सकें तो सफेद हाथी किस बात का प्रतीक है, यह तय करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन फ्रायड ने ही पहली बार यह काम नहीं किया है। जैनों के चौबीस तीर्थंकरों की माताओं के स्वप्नों में जो ताल-मेल है इस बात को भी फिक की जाती रही है कि जब तीर्थकर पैदा होता है तो उसकी मां को क्या स्वप्न आते हैं। उसके जन्म के पहले उसकी चित्तदशा क्या है ? शांत है, अशांत है, आनन्दपूर्ण है, प्रेमपूर्ण है, घृणापूर्ण है, क्रोषपूर्ण है, पवित्र है, दिव्य है, साधारण है, क्षुद्र है, कैसी है ? यह बिल्कुल ठीक है कि चित्त की विशिष्ट दशा में ही ऐसी आत्मा उतर सकती है। चंगेजला या तमूललंग पैदा हों तो भी फिक्र की जानी चाहिए कि उनकी माताएं कसे स्वप्न देखती है। फिक्र नहीं की गई है। हिटलर पैदा हो, स्टालिन पैदा हो, वो
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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