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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-१२
उत्तर: हां, बहत से कारण है। अब यह बात समझने जैसी है असल में । एक बच्चा अंधा पैदा होता है तो घटनाएं घट रही है। अगर वैज्ञानिक से पूछेगे तो वह कहेगा कि इसमें मां-बाप के जो अणु मिले उसमें अंधेपन को गुंजाइश थी। वैज्ञानिक यहां समझाएगा। वह भी अकारण नहीं मानता इसको । लेकिन वह विज्ञान के कारण खोजेगा। वह कहेगा कि जो मां-बाप के अणु मिले उन अणुओं से अंधा बच्चा ही पैदा हो सकता था। अंधा बच्चा पैदा हो गया । उन अणुओं में कोई रसायनिक कमी थी जिससे कि आंख नहीं बन पायो । लेकिन धार्मिक कहेगा कि बात इतनी ही नहीं है। इसके पीछे और भी कारण है। विज्ञान के लिए तो आदमी सिर्फ जन्मता है। जन्म के पहले कुछ भी नहीं है। लेकिन वह इस बात को इन्कार कैसे कर सकता है कि पैदा होने के पीछे भी कारण है, सिर्फ अंधा होने के पीछे ही नहीं। यानी वह इतना तो मानता है कि अंधा पैदा हो गया क्योंकि अणुओं में कुछ ऐसा कारण है जिससे अन्धा पैदा होना है। लेकिन पैदा हो क्यों होगा यह आदमो ? बस वह अणुओं के मिलने पर शुरूआत मानता है। धर्म कहता है उसके पीछे भी कोई कारण को शृंखला है, उसको अभी तोड़ा नहीं जा सकता। धर्म कहता है कि जो आदमी मरा, मरते वक्त तक ऐसी स्थितियां हो सकती है कि वह आदमो खुद भी आँख न चाहे। या उसके कर्मों का पूरा योग हो सकता है उस क्षण में कि आँख सम्भव न रहे। और ऐसा आदमी अगर मरे तो ऐसी आत्मा उसी मां-बाप के शरीर में प्रवेश कर सकेगी, जहाँ अन्धे होने का संयोग जुड़ गया है। यानी ये दोहरे कारण है। अब जैसे मैं उदाहरण के लिए कहैं। एक लड़की को मैं जानता हैं जिसकी मांस चली गई सिर्फ इसलिए कि उसके प्रेमी से उसको मिलने के लिए मना कर दिया गया । उसके मन में भाव इतना गहरा हो गया इस बात का कि जब प्रेमो को ही नहीं देखना है तो फिर देखना भी क्या है ? यह भाव इतना संकल्पपूर्ण हो गया कि आँख चली गई । और किसो इलाज से मांस नहीं लौटाई जा सको जब तक कि उसको प्रेमी से मिलने नहीं दिया गया। मिलने से आँख वापस लोट पाई। उनके मन ने ही आँख का साथ छोड़ दिया था। तो मरते क्षण में, मरते वक्त में मात्मा के पूरे के पूरे जीवन की व्यवस्था, उसका चित्त, उसका संकल्प, उसकी भावनाएं सब काम कर रही हैं । इन सारे संकल्लों, इन सारी भावनामों, इस सारे कर्म शरीर को, इस सारे संकल्प शरीर को लेकर वह इस शरीर को छोड़ती है । नया शरीर हर कोई ग्रहण नहीं कर लिया जाएगा। वह उसी शरीर की ओर सहज नियम से आकर्षित होगो जहाँ उसको इच्छाएं, उसको भावनाएँ उपलब्ध हो सकेगी।