________________
प्रश्नोत्तर-प्रबचन
२६१
वीर ने डारविन को नहीं पढ़ा था तो डारविन को नहीं छोड़ना पड़ा होगा । महावीर ने वेद छोड़े होंगे, उपनिषद् छोड़े होंगे। मैंने डारविन को पढ़ा तो मुझे डारविन को, मैंने मार्क्स को पढ़ा तो मुझे मार्क्स को छोड़ना पड़ेगा। यह फर्क पड़ेगा। लेकिन जो भी मेरे पास हो वह छोड़ना पड़ेगा । छोड़कर दर्शन उपलब्ध होता है कभी भी । इसलिए दर्शन हर काल में छोड़कर ही होगा क्योंकि उसका जोर उस पर है कि तुम जो भी जानते हो, तुमने जो भी सोखा है, जो भी पकड़ा है, उस सब को लीन. कर दो। लेकिन, जब दर्शन हो जाएगा और जब आप ज्ञान बनाएंगे उससे, तब आपको सब विद्वत्ता आजाएगी। अरविंद जब बोलेंगे तो उसमें डारविन मौजूद रहेगा। इससे अरविंद की सारी भाषा बदल जाएगी । महावीर की वह भाषा नहीं हो सकती क्योंकि महावीर को डारविन का कोई पता नहीं है । महावीर डारविन को भाषा नहीं बोल सकते । अरविन्द बोलेगा तो डारविन की भाषा में बोलेगा । जैसे महावीर मार्क्स की भाषा में नहीं बोल सकते लेकिन अगर मैं बोलूंगा तो मार्क्स को भाषा बोच में आएगी । मैं कहूंगा शोषण पाप है, महावीर नहीं कह सकते यह । क्योंकि महावीर के युग में शोषण के पाप होने की धारणा ही नहीं थी । उस वक्त जिसके पास धन था वह पुण्य था । धन शोषण है और चोरी है यह धारणा तोन सौ वर्षों में पैदा हुई हैं । यह धारणा जब इतनी स्पष्ट हो गई तो आज अगर कोई कहेगा कि घन पुण्य है तो इस जगत् में उसका कोई अर्थ नहीं यानी वह अज्ञानो सिद्ध होने वाला है । इसलिए अक्सर यह दिक्कत हो जाती है ।
न तो हमें पीछे को तरफ लोटकर सोचना चाहिए और ना हो नई शब्दावलियों को पुराने पर थोपना चाहिए। महावीर को हम इसलिए कमजोर नहीं कह सकते कि उन्हें विकास की भाषा का पता नहीं था । वह भाषा यो हो नहीं । वह भाषा नई विकसित हुई है। आज मे हजार साल बाद जो लोग दर्शन को उपलब्ध होंगे, जो भाषा बोलेंगे उसको हम कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि एक हजार साल में वह सब कुछ बदल जाएगा। इसी बदलो हुई भाषा में फिर ज्ञान प्रकट होगा । तब अभिव्यक्ति के माध्यम बदल जाएंगे। समझ लं कि आज से दो हजार, तीन हजार साल पहले भाषा नहीं थी, उसे सित्राय स्मृति में रखने के कोई अन्य उपाय नहीं था । सारा ज्ञान स्मृति में ही संचित होता था । ज्ञान को इस ढंग से बताना पड़ता था कि वह स्मृति में हो जाए। ग्रन्थ है, वे सब काव्य में हैं क्योंकि काव्य को स्मरण रखा जा को स्मरण रखना मुश्किल है। कविता स्मरण
इसलिए जो पुराने
सकता है, गद्य सुविधा से,
रखी जा सकती है,