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महावीर : मेरी दृष्टि में
मेरे एक मित्र थे, वह पागल हो गए । पागल हो गए १९३६ के करीब । वे घर से भाग गए और एक अदालत में पकड़े गए । कुछ उन पर मुकदमें चले । मजिस्ट्रेट ने कहा - " वह पागल है, उन्हें छः माह की सजा दी जाय लेकिन सजा उनकी पायलखाने में कटे ।" और लाहौर के पागलखाने में भेज दिए गए । वह मुझे कहते हैं कि दो महीने मेरे बड़े कटे क्योंकि मैं पागल वा और सब वहाँ पागल थे । कोई तीन सो जमाव था।
आनन्द से पागलों का
बड़ा आनन्द
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ही आनन्द था । बाहर मैं कष्ट में ही था। चूंकि मेरा ताल-मेल ही नहीं बैठता था किसी से; चूंकि सब ठीक थे मैं पागल था, मैं जो करता उनको न जँचता वह जो करते, मुझको न जँचता था । पागलखाने में पहुंच कर तो मैं जैसे स्वर्ग में पहुँच गया । जाकर जो मैंने पहला काम किया वह परमात्मा को, उस मजिस्ट्रेट को धन्यवाद दिया जिसने मुझे पागलखाने में भेजा था । सब अपनेजैसे लोग थे । बहुत ही बढ़िया था सब । लेकिन दो महीने बाद बड़ी मुश्किल हो गई । छः महीने की सजा हुई थी और दो महीने बाद, पागलखाने में कहीं एक डिब्बा मिल गया रखा हुआ फिनायल का; और वह उसको उठा कर पी गए । पागल आदमी थे । वह फिनायल पी गए । इस फिनायल पीने से उनको पन्द्रह दिन तक इतने के दस्त हुए कि सारी सफाई हो गई और सब गर्मी निकल गई; वह बिल्कुल ठीक हो गए । यानी उस पागलखाने में वह गैर पागल हो गए। और वह डाक्टरों को कहने लगे कि अब मैं बिल्कुल ठीक हो गया हूँ । और अब मेरी बड़ी मुसीबत हो गई है । लेकिन वहाँ कौन मानता था क्योंकि डाक्टरों ने कहा यहाँ सभी पागल यही कहते हैं कि हम ठीक हैं । यह कोई बात है । कोई पागल कभी मानता है कि मैं पागल हूँ। उन्होंने जितनी समझाने की कोशिश की, कोई समझने को राजी न था । छः महीने की सजा पूरी करनी पड़ी । वह मुझसे कहते थे कि चार महीने मेरे इतने कष्ट में कटे कि ऐसा नरक में कोई किसी को न डाले । क्योंकि सब थे पागल और मैं हो गया था ठीक । कोई मेरी टांग खींच रहा है; कोई मेरा कान घुमा रहा है; कोई धक्का ही मार देता है; कोई पानी ही डाल देता है ऊपर आकर; सो रहा हूँ तो कोई घसीट
होऊंगा दो महीने
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कर दो कदम आगे कर जाता है। यह मैं भी करता रहा पहले । लेकिन तब हम सब साथी थे। तब कभी स्थाल न गलत कर रहा हूँ । अब बड़ी मुश्किल हो गई । और अब मैं कि मैं भी यही करूँ । अब मैं न किसी की टांग खींच सकता, और न किसी पर
आया था कि यह असमर्थ हो गया
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पानी डाल सकता । मैं बिल्कुल ठीक था और वे सब पागल थे । उनको जो