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२८. ]
महावीर का अन्तस्तल
महावा
व्यता स्वाभाविक है । इसमें सद्गुरु भी कुछ नहीं कर सकता।
___जयन्ती-समझगई भगवन्, अब यह बताइये कि सोना अच्छा या जागना?
मैं-जो लोग धर्ममार्ग पर चलते हैं उनका जागना अच्छा, क्योंकि वे जितनी देर तक जागेंगे धर्म करेंगे। और जो जीव पापमार्ग में जाते हैं उनका सोना अच्छा क्योंकि वे जितना आधिक सोयँगे उतने समय तक पाप कार्य से बचे रहेंगे।
जयन्ती-भगवन् सवलता अच्छी कि निर्वलता ?
मैं-पापियों की निर्यलता अच्छी और धर्मात्माओं की सबलता अच्छी । पापी अगर निर्बल होगा तो कम पाप कर पायगा, सरल होगा तो ज्यादा करेगा। धर्मात्मा अगर सबल . होगा तो अधिक धर्म करेगा और निर्वल होगा तो कम धर्म करेगा। इसलिये पापियों का निर्बल होना अच्छा, धर्मात्माओं का सबल होना अच्छा। .
जयन्ती-कर्मठता अच्छी कि आलस्य । ___ मैं-धर्मात्माओं की कर्मठता अच्छी क्योंकि उससे वे धर्म करेंगे, पापियों का आलस्य अच्छा क्योंकि उससे वे पापसे रुकेंगे।
इसीप्रकार जयन्ती ने और भी प्रश्न पूछे और उन सब के अत्तरा से सन्तुष्ट हो उसने दीक्षा ली।
७६- गौतम की क्षमायाचना ८ मुंका ६४४६ इतिहास संवत् . उत्तर कौशल आदि की तरफ विहार कर विदेह के इस वाणिज्यग्राम में मने अपना पन्द्रहवां चतुर्मास किया है। यहाँ आज एक विशप घटना होगई जो कि है तो छोटीसी, किन्तु