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________________ १४२] - महावीर का अन्तस्तल पहिली बोली-बता बता, क्या टोटका है ? ..... तीसगे-पर किसी से कहना मत! .. पहिली-हमें क्या गरज पड़ी कि किसीसे कहने जायें। ऐसी बात क्या किसी से कही जाती है ? तीसरी-इसीसं तो कहती हूं। ज्योतिषी ने कहा था कि अव की गर अगर मरा बच्चा पैदा हो तो उसका खून मांस नख बाल लेकर तथा उसकी नाक काटकर दूध में मिलाना और फिर उसकी बढ़ियां खीर वनाना, अच्छा और अधिक मधु डालना, तब किसी एक भिक्षुक का खिलादेना जो इस गांव का न हो। इस के बाद घर छोड़ कर दूसरे घर में रहने लगना। . . पहिली-टोटका है तो पक्का, पर है बड़ा कठिन। अपने वेटे का मांस किसी को कैसे खिलाया जायगा और उसके अंग काटकर उसकी ऐसी दुर्दशा अपने हाथसे कैसे की जायगी? - दूसरी-पर ऐसा किये विना इन मरे बेटों की अक्ल ठिकाने न आयगी। न जाने कहां का बदला लेने के लिये हर वार मर मरकर पदा होते हैं और माता पिता का तन मन धन नष्ट करते हैं। एक बार ऐसी दुर्दशा की कि फिर कभी इस प्रकार मर मर कर पैदा होने का नाम न लेंगे। . तीसरी-वात विलकुल ठीक है । इसके सिवाय दूसरी राह नहीं है। तीनों चलीगई । में सोचने लगा कैसे कैसे अन्धाश्वासों ले माह यह जगत् । ये सोचती हैं कि मरा बच्चा अपनी दुर्दशा दखता हागा, समझता होगा, दुर्दशा से डर कर फिर इनके यहाँ पैदा न होने का संकल्प करता होगा और फिर भी मरा बना रहता होगा। केसी अद्भुत सूढ़ता है ! . .
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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