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( २ ) सेवा में रत श्वेत कोकिल पक्षी । ( ३ ) सेवा में चित्र-विचित्र पांखों वाला कोकिल पक्षी ।
( ४ ) सुवर्णमय और रत्नमय दो पुष्पमालाएँ । (५) सेवा में उपस्थित श्वेत गो वर्ग । (६) पुष्पित कमलों वाला विशाल पद्म-सरोवर (७) महासमुद्र को भुजात्रों से पार करना । ( ८ ) जाज्वल्यमान सूर्य का आलोक चारों ओर फैल रहा है ।
( ६ ) अपनी अंतड़ियों से मानुषोत्तर पर्वत को आवेष्टित करना ।
(१०) मेरू पर्वत पर चढ़ना ।
प्र. १०६ म. स्वामी के स्वप्न का फल क्या था ?
उ.
श्रमण भगवान महावीर द्वारा देखे गये दस स्वप्न और उनका फलितार्थ :
स्वप्न
(१) अपने हाथ से ताल पिशाच को मारना ।
(२) सेवा में रत श्वेत कोकिल पक्षी |
(३) सेवा में रत चित्रविचित्र पांखों वाला 'कोकिल पक्षी ।
फल
(१) आप मोहनीय कर्मका शीघ्र नाश करेंगे ।
(२) आप शुक्ल ध्यान में रत रहेंगे ।
(३) विविध
ज्ञानमय
द्वादशांगी की प्ररू परणा करेंगे।