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कहकर रोकने के लिए बहुत ही कोशिश की, लेकिन महावीर अपने संकल्प में दृढ़ थे। ग्राम वासियों की आज्ञा लेकर उसी चैत्य में रात । भर ध्यानस्थ खड़े रहे। यक्ष के उपसर्ग के पास चलायमान नहीं हुए। यक्ष के सामने महावीर की विजय हुई और ग्रामवासियों को
मुक्ति मिली थी। प्र. १०२ ग्रामवासियों को शूलपाणि यक्ष से कैसे मुक्ति
मिली थी? उ. क्षमासिंधु महावीर स्वामी पर अनेक उपसर्ग
द्वारा शूलपाणि यक्ष ने अपनी शक्ति को खर्च कर दिया, लेकिन समता के सागर प्रभु महावीर जरा भी न डीगे। शूलपाणि यक्ष 'पुष्पपाणि महावीर के समक्ष हतप्रम हो गया। उसका अज्ञान, द्वेष और वासना से दूषित चित्त अपने आप पर घृणा करने लगा। वह प्रभु महावीर के अनंत सामर्थ्य, अक्षय-असीम 'धैर्य और उत्कट अभयवृत्ति के समक्ष विनीत होकर क्षमा मांगने लगा--"देवार्य ! आपका बल-वीर्य अद्वितीय है, आपका सामर्थ्य अनंत
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