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प्र. ६४ म. स्वामी को यह उपसर्ग क्यों आये थे ? शूलपाणी यक्ष के क्रोधावेश के कारण आये थे । प्र. ६५ शूलपाणी यक्ष कौन था ?
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उ.
अस्थिक ग्राम की ओर एक धनदेव नामक सार्थ पाँच सौ बैलगाड़ियाँ लेकर आ रहा था । ग्राम के निकट वेगवती नाम की एक नदी बहती थी । गर्मी के दिनों में पानी सुख जाता और गहरा कीचड़ हो जाता था । नदी पार करते वक्त गाड़ियाँ कीचड़ में फंस गई, बैल उन्हें खींच नहीं सके । तब सार्थ ने वैलों को खोल दिया । उसके पास एक बड़ा ही बलवान, पुष्ट स्कन्धों वाला, सफेद हाथी जैसाबैल था। उस एक ही बैल ने धीरे-धीरे पाँच सौ गाड़ियों को खींचकर किनारे लगा दिया । इस अत्यधिक श्रम के कारण बैल का दम टूट गया, उसके मुँह से रक्त वहने लगा, और वह भूमि पर गिर पड़ा। अनेक प्रयत्न करने पर भी वैल फिर से खड़ा नहीं हो सका । तव व्यापारी ने गाँव के लोगों को बुलाया और वहाँ अधिक रूकने में अपनी असमर्थता बताकर वैल की सेवा करने के लिए एक बड़ी धन राशि यहाँ दे गया ।