________________ भारतीय संस्कृति की महत्ता, तपस्या और उत्सर्ग की भूमिका पर ही प्रतिष्ठित हुई है। जब साधक साधना करते-करते सिद्धमय हो जाता है, तो वही संस्कृति बन जाती है। आज . से लगभग 2550 वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने “सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय' स्वयं को उत्सर्ग कर दिया था। उनकी विराट् संवेदना देश, जाति, तथा काल की सीमाओं को पार कर गई थी। इसीलिए वे सृष्टि मात्रके उद्धारक व मुक्तिदाता माने गए हैं। भगवान महावीर के जीवन का तलस्पर्शी चिंतन प्रश्नोत्तर के रूप में सौराष्ट्र के सुप्रसिद्ध संत पूज्य श्री गिरीश मुनिजी म. सा. के सुशिष्य साहित्यरश्मि पूज्य श्री जिज्ञेश मुनिजी ने अंगशास्त्रों के अगाध क्षीरसागर में अवगाहन कर महावीर के व्यक्तित्व के विकास की जो रूपरेखा प्रस्तुत की है, वह नि:संदेह पाठकों के व्यक्तित्व को निखार सकने में समर्थ है। हजारों वर्षों को सचित साधना का यह मर्मोद्धाटन स्वय में बहुमूल्य है। इस सद् प्रयत्न के लिए मुनिजी के हम सब भाभारी हैं। भगवान महावीर की जीवनी जन-जन का कल्याण करे और मानवता का परित्राण करे-इसी विनम्र भावना के साथ - वीरेन्द्र जैन संयोजक, प्राकृत विद्यापीठ पंचतता ar