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सुबह एक प्रहर और दोपहर एक एक प्रहर मिलाकर कुल दोपहर यानि छ! घंटे तक
देशना देते है। प्र. १८ तीर्थंकर किस भाषा में देशना देते है ?
अर्धमागधी-प्राकृत में (सर्वभाषाओंकी जननी)। प्र. १६ तीर्थंकर के समय में प्रजा का स्वभाव कैसा था? ऊ. वक्र-जड़, यानि सरलता कम और बुद्धि की
प्रगल्भता ज्यादा। प्र. २० भारतमें तीर्थंकरों का विहार कहां-कहां
हुआ है ? प्रायः पूर्व और उत्तर भारत में, कभी एकाध वार पश्चिम भारत तक ।
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