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(३) म. स्वामी की प्रथम देशना निष्फल रही,
यानि व्रत नियमादि कुछ नहीं हुए। किसी भी तीर्थंकर की प्रथम देशना
निष्फल नहीं रही। . (४) चंद्र-सूर्य देव कभी अपने मूल रूप में दर्शन
करने या देशना सुनने नहीं आते, लेकिन म. स्वामी के समवसरण में सूर्य-चन्द्र मूल
रूप में आये थे। (५) तीर्थंकरों की उपस्थिति में वैर का विराम
होता है, लेकिन म. स्वामी के शासन में
शंकेन्द्र और अमरेन्द्र की लड़ाई हुई थी। इस प्रकार अवसर्पिणी कालके दश आश्चर्य
भ. १४ तीर्थंकर किस पर बैठकर देशना देते है ? उ. देवनिर्मित समसवरण में या सुवर्ण कमल पर। प्रे. १५ क्या तीर्थकर रोज देशना देते है ?
हां। १६ तीर्थंकर रोज कितनी बार देशना देते है ? उ. दो वार-सुवह और दोपहर । प्रे. १७ तीर्थकर रोज कितने समय तक देशना देते है ?