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हत्या पर पश्चात्ताप होने लगा। अंतिम क्षणों में उसने अपने शिष्यों के समक्ष-सच्चाई को स्वीकार करलिया-"महावीर जिन हैं, सर्वज्ञ हैं, मैं पाखंडो हूं. पापी हूँ, मैंने तुमको, संसार को व स्वयं को धोखा दिया है। मेरे मरने के वाद मेरी दुर्दशा कर लोगों को फहना-"ढोंगी, श्रमणघातक और गुरुद्रोही गौशालक मर
गया ।" प्र. ५०८ म. स्वामी पर तेजोलेश्या के प्रयोग के कितने
दिन बाद गोशालक की मृत्यु हुई थी। उ. सातवें दिन। प्र. ५०६ म. स्वामी को तेजोलेश्या के प्रभाव से क्या
हुया था ? उ. पित्तज्वर-रक्तातिसार (खूनी दस्त) प्र. ५१. म. स्वामी श्रावस्ती से विहार कर कहाँ
पधारे थे ?
में ढिक ग्राम में। प्र. ५११ म. स्वामी मेंडिक ग्राम में कहां विराजे धे?
सालकोप्टक उद्यान में। प्र. ५१२ म. स्वामी का मगेर पित्तज्यर ने पंसा हो
. गया था?