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महावीर पर ही अपनी तेजोशक्ति का प्रयोग
कर डाला। "प्र. ५०५ म. स्वामी पर तेजोलेश्या का क्या प्रेभाव
पड़ा? तीर्थकरों पर ऐसी किसी शक्ति का असर नहीं होता। गौशालक द्वारा फेंकी हुई तेजोलेश्या महावीर के शरीर की परिक्रमा करने लगी
और फिर गौशालक के शरीर में प्रविष्ट हो गई। प्र. ५०६ गौशालक की देह में तेजोलेश्या के प्रवेश करने से
क्या हुआ था ? शरीर में तेजोलेश्या के प्रेकोप से गौशालक असह्य पीड़ा का अनुभव करने लगा। दाह शांत करने के लिए वह आम की गुठली बारबार चूसता, बार-बार मदिरापान करता, शरीर पर मिट्टी मिला जल सींचता। इस प्रकार अत्यन्त आकुलता, पीड़ा और असह्य
वेदना के साथ उसका अन्तिम समय बीता । 7. ५०७ गौशालक ने अंतिम समय में क्या किया था ?
गौशालक को अंतिम समय में महावीर के साथ की गई कृतघ्नता, विद्रोह और दो मुनियों की