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करते देखकर महावीर ने कहा-“गौशालक ! जैसे कोई चोर एक-याध ऊन व पटसन के रेशे से, या रूई के छोटे से फूल से अपने को ढककर छिपाने की वाल चेष्टा करता है, वैसो ही यह तुम्हारी आत्म-गोपन की चेष्टा है । तुम वही गौशालक होकर अपने को दूसरा बताने की झूठी कोशिश कर रहे हो। ऐसा करके तुम किसी बुद्धिमान को प्रांखों में धूल
नहीं झोंक सकते।" प्र ४६६ म. स्वामो के सत्य वचन को सुनकर गौशालक
को क्या हुआ? प्रभु महावीर के सत्य वचन को सुनकर गोशालंक नोधोन्मत्त हो गया और बोला-"काश्यप ! मालूम होता है, अब तुम्हारा विनाशकाल निकट या गया है। यह समझ लो कि तुम . दुनिया में रहे हो नहीं ! मृत्युका चक्र तुम्हारे
सिर पर घूमने लग गया है।" प्र. ५०० गौशालक के कर्वाश वचन सुनकर महावीर को
शिष्यों ने क्या किया था ? 3. गौशालक के उग्र और असभ्यतापूर्ण अपमान