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( २६५ )
उ.
प्र. ३६४ म. स्वामी के पास किसने दीक्षा लो थो ? मृगावती के साथ चंडप्रद्योत की आठ रानियों ने भी दीक्षा ली थी ।
प्र. ३६५ राजगृही के वैभारगिरि की उपत्यकाओं में कौन रहता था ? लोहखुर ।
उ.
प्र. ३६६ लोहखुर कौन था ?
उ. एक भयानक व दुर्दान्त चोर था पीढियों से चौर्यकर्म करता था ।
प्र. ३६७ लोहखुर के पुत्र का नाम क्या था ?
उ. रोहिणेय ।
प्र. ३६८ लोहखुर ने मरते समय रोहिणेय को क्या सीख दी थी ?
उ.
"पुत्र ! मेरी प्रतिष्ठा को तुम सदा वढाते रहोगे। तुम अपने कर्म में मुझसे भी अधिक चतुर और कुशल, साहसी हो । किन्तु एक वातका ध्यान रखना। तुम कभी महावीर के निकट मत जाना। उनकी वाणी मत सुनना । बस यही मेरी अन्तिम सीख है ।
प्र. ३६६ म. स्वामी की देशना केश रोहिणेय के कान में कैसे पड़े ?