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________________ ( २६४ ) स्पर्शी प्रेरक देशना दी। चंडप्रद्योत का हृदय भी गदगद हो गया | प्र. ३६२ म. स्वामी की धर्मसभा में मृगावती ने क्या कहा था ? उ. समयज्ञा रानी मृगावती भगवान की धर्मसभा में खड़ी हुई और प्रार्थना करने लगी"भगवन् ! मैं महाराजा चन्डप्रद्योत की आज्ञा लेकर श्रापके पास दीक्षा लेना चाहती 3. 1 मेरा पुत्र उदयन अभी बालक है। इसके संरक्षरण को जिम्मेदारी महाराजा चंडप्रद्योत स्वीकार करेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है ।" उसी समय रानी ने उदयन को महाराजा चन्डप्रद्योत की गोदी में बैठा दिया । प्र. ३६३ म. स्वामी के उपदेश से वातावरण कैसा बन गया था ? वातावरण बदल गया । चंडप्रद्योत को उदयन का अभिभावकत्व स्वीकार करना पड़ा । आक्रान्ता अभिभावक बन गया । रणभूमि तपोभूमि बन गई। रणभेरियों की जगह शांति व त्याग के जयघोष गू ंजने लगे ।
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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