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( २६२ ) कामी राजा को फटकारा । चन्ड प्रद्योत सोचने लगा-"रानी ने मुझे धोखा दिया है।" कुद्ध हो उसने पुनः कौशंबी पर आक्रमण कर दिया। अवंती की सेनाओं ने कौशंबी को
घेर लिया। प्र. ३५७ चन्डप्रद्योत के आक्रमण पर रानी मृगावती
ने क्या किया? रानी ने कौशंबी के सुदृढ़ वज्रमय द्वार बन्द करवा दिये और भीतर ही भीतर अपनी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने लगी। युद्ध की इस विषम वेला में शांति के अग्रदूत भगवान महावीर रण-भेरियों के बीच शांति का जयघोष सुनाते हुए कौशंबी के बाहर चन्द्रावतरण चैत्य
में पधारे। प्र. ३५८ म. स्वामी के आगमन की सूचना मिलने पर
मृगावती ने क्या किया था ? मृगावती ने मंत्रिमण्डल की सम्मति ली-"द्वार.
खोलने चाहिये या नही।" . प्र. ३५९ मंत्रिमंडल ने मृगावती से क्या कहा था ?
"इस विकट स्थिति में द्वार खुलते ही शत्रु
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