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सेनायें नगर में प्रवेश कर लूट मचा देगी
किसी भी स्थिति में द्वार नहीं खुलने चाहिए। प्रे. ३६० मंत्रिमंडल की सलाह का मृगावती ने क्या
उत्तर दिया था ? रानी मृगावती ने कहा- "शांति का देवता जव हमारे द्वार पर आ गया है तब हम अभागे उसके स्वागत के लिए क्या द्वार भी न खोलें ? प्रभु महावीर की उपस्थिति में हमें कुछ भय' नहीं। मुझे अटल विश्वास है, यह विपत्ति भी टल जायेगी और भगवान की धर्मनीति रणनीति को नया मोड़ दे देगी।" रानी का विश्वास जीता। शत्रु सेना से घिरे कौशंवी के द्वार खोल दिये गये। महारानी अपने समस्त राजपरिवार के साथ प्रभु के
दर्शनार्थ गई। प्रे. ३६१ म. स्वामी की देशना सुनने और कौन . पाये थे ?
चन्डप्रद्योत एवं उसकी अंगारवती आदि . रानियां भी भगवान को धर्म-देशाना सुनने आई। भगवान् महावीर
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