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प्र. ३१५ म. स्वामी के पास किसने श्रावक धर्म स्वीकार
किया था ? नंदन मणीकार ने ।
उ.
प्र. ३१६ म. स्वामी की देशना सुनने समवसरण में कौन आया था ?
उ.
श्र ेणिक महाराज, अभय कुमार एवं अन्य सहस्रों नागरिक धर्म देशना सुनने आये थे । तभी एक कुष्टी, जिसके शरीर से रक्त-मवाद वह रहा था, मक्खियाँ देह पर भिनभिना रही थीं. महाराजा श्रेणिक के पास आकर बैठ गया । प्रभु की धर्म सभा में तो सबको समान अधिकार था। कोई किसी को रोक नहीं सकता था ।
उ.
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प्र. ३१७ म, स्वामी की धर्मसभा में कुष्टी ने क्या कहा था ?
कुष्टी ने प्रभु महावीर की ओर देखकर कहा"मर जाओ ! "
श्र ेणिक को संकेत करते हुए कहा- "जीते रहो! अभयकुमार की ओर मुँह कर के वोला- "चाहे
जी, चाहे मर!"
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