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(२) स्थविरकल्पी - जो संघीय मर्यादा एवं अनुशासन में रहकर साधना करते थे । (३) जिनकल्पी - जो विशिष्ट साधना पद्धति अपना कर संघीय मर्यादा से मुक्त होकर
तपश्चरण प्रादि करते थे ।
प्र. १६४ स्थविरकल्पी साधको में कितने पदों की व्यवस्था थी ?
उ.
प्रत्येक बुद्ध एवं जिनकल्पी स्वतंत्र विहारी होते थे इसलिए उनके लिये किसी अनुशासक की अपेक्षा ही नहीं थी । स्थविरकल्पी संघ में रहकर एक पद्धति के अनुसार, एक व्यवस्था के अनुसार जीवन यापन करते थे अतः उनके लिये सात विभिन्न पदों की व्यवस्था थी ।
"
(१) आचार्य ( आचार की विधि सिखानेवाले ) (२) उपाध्याय ( श्र ुतका अभ्यास कराने वाले) (३) स्थविर (वय दीक्षा एवं श्रुत से अधिक
,
अनुभवी )
(४) प्रवर्तक (प्रज्ञा अनुशासन की प्रवृत्ति कराने वाले)