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कलकत्ता पंजाब जैन सभा संक्षिप्त परिचय
भारत की स्वतन्त्रता के कुछ ही समय पश्चात् कुछ पंजाबी जैन परिवारों का व्यवसाय हेतु कलकत्ता आगमन हुआ । कालानन्तर में वे यहाँ के निवासी बन गये । पंजाब से कलकत्ता आने के बाद एक सामाजिक मंच के अभाव में वे लोग धार्मिक क्रियाओं तथा परम्पराओं से अपने को वंचित अनुभव करने लगे ।
सन् १९५३ में पूज्य मुनि प्रतापमलजी महाराज तथा पूज्य मुनि श्री हीरालालजी महाराज का चातुर्मास कलकत्ता में हुआ । उनकी प्रेरणा व प्रोत्साहन से प्रगत पंजाबी परिवारों ने महावीर जैन सभा नामक एक संस्था की स्थापना की ।
१९६१ में श्री कैलाशचन्द्र जैन के नेतृत्व में सभी पंजावी जैन बन्धुनों ने मिलकर कलकत्ता पंजाब जैन सभा नामक संस्था का गठन किया व सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत इसे पंजीकृत करवा लिया । इससे समाज के लोगों में नये उत्साह का संचार हुग्रा और वे भी अपने निजी भवन निर्माण की परिकल्पना करने लगे ।
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