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— सन् १९६३ में कुछ कारणवश श्री कैलाशचन्द्रजी बम्बई चले गये और जाते समय कलकत्ता पंजाब जैन सभा का नेतृत्व श्री जगदीशराय जैन के कुशल हाथों में सौंप गये।
समय-समय पर कलकत्ता में समागत सभी पूज्य साधु वृन्द हमारे प्रेरणा स्रोत रहे। इनमें पूज्य मुनि श्री जयन्तीलालजी म० का विशेष स्थान है । सन् १९७५ में पूज्य विजय मुनिजी महाराज का कलकत्ता में चातुर्मास हुआ। उनकी ही बलवती प्रेरणा-प्रोत्साहन से हमारी छोटो-सी जमात ने सवालाख रुपैया एकत्र कर लिया। इससे हमारे मन में यह विश्वास दृढ़ हो गया कि विना किसी बाह्य सहायता के हम ३० या ३५ पंजाबी परिवार अपना भवन निर्माण करा सकेंगे।
३० अगस्त १९८१ रविवार को वह शुभ दिन उपस्थित हुना। हमारे माननीय प्रमुख श्री जगदीशरायजी जैन के करकमलों द्वारा भूमिपूजन के साथ शिलान्यास हुआ । पूज्य तपस्वी मुनिश्री लाभ चन्द जी म० की भी प्रवल प्रेरणा रही। शिलान्यास समारोह में उनकी उपस्थिति से हमारा संकल्प और दृढतर हुआ। तत्पश्चात् श्री तिलकचन्द जैन तथा श्री रणजीतराय जैन के अथक प्रयास से और श्री भूपेन्द्र कुमार जैन, श्री अमृत कुमार जैन तथा श्री बलदेव राम जैन के पूर्ण सहयोग से यह