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महावीर किसके बैलोंका अता-पता रखते । मौन-ध्यान में लीन थे । ग्वालाने दुबारा पूछा, फिर भी प्रभु तो मौन। अब तो ग्वाला आगबबूला हो गया, और खूब जोर से चिल्ला उठा-"रे ढोंगी बाबा ! तुझे कुछ सुनाई भी देता है या नहीं। बहरा तो नही है ?"
महावीर ने कोई उत्तर नहीं दिया। प्र. ४०३ म. स्वामी से कोई उत्तर नहीं मिलने पर
ग्वाले ने क्या किया था ? ग्वाला क्रोधावेश में आगया, "अच्छा, लगता है दोनों ही कान फूटे हैं, जरा ठहर, अभी तेरी चिकित्सा करता हूं।" आवेश में मूढ़ ग्वालेने
महावीर के कानों में आर-पार शूल ठोंक दी। प्र. ४०४ म. स्वामी के कान में जो शूल ठोंकी गई, वह
ग्वालेने किस से बनाई थी,?
शरकट नामके कठोर वृक्ष को डालो. से। प्र. ४०५ म. स्वामी के कौनसे कान में शूल ठोंकी थी ? उ. दोनों कानों में ।
प्र. ४०६ म. स्वामी के कानमें शूल किससे ठोंकी थी ? ___ उ. कुल्हाड़ी से।