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( १६२: ). स्वयं छः मास तक भूखे-प्यासे रहकर उनके
उद्धार का वातावरण बनाया।" . प्र. ३६० म. स्वामी ने कौशंबो से किस ओर विहार
किया था ? उ. पालक ग्राम की ओर। . . . . प्र. ३६१ म. स्वामी को पालक ग्राम की ओर विहार में
कौन मिला था ? उस भायल नामका वैश्य। प्र. ३९२ म. स्वामी को देखकर भायल वैश्य ने क्या
किया था ? जिस मार्ग से प्रभु पालक ग्राम की ओर जा रहे थे, उसी मार्ग से भायल नामक कोई वैश्य धन कमाने जा रहा था। मार्ग में सामने महावीर मिल गये, वैश्य ने मुडित सिर श्रमण को देखा तो उसे लगा-यह तो बड़ा भारी अपशुकन हो. गया; उसे श्रमण पर इतना प्रचंड क्रोध आया 'कि अपने होशहवाश भूल कर वह तलवार से महावीर के टुकड़े-टुकड़े करने दौड़ पड़ा। पर, महाश्रमण तो मौन थे, अपनी ही मस्ती में चल रहे थे। वैश्य को तलवार का प्रहार