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( १५६ ) उ. उड़द के बाकुलों से । प्र. ३८३ म. स्वामी ने बाकुले किसमें लिये थे ? उ. कर-पात्र में। प्र. ३८४ म. स्वामी को आहार दान देने पर क्या
हुना था ? सहसा आकाश,मंडल में देव-दुदुभियों की ध्वनि के साथ जय-जयकार हुआ ।' अहोदानं-अहोदानं' की घोषणा से कौशंबी नगरका कोना-कोना मुखर हो गया। चन्दना के हाथ-पैरों की बेड़ियाँ टूटकर सुवर्णमय कंकरण और पायल का आभूषण बन गई। सिर पर दिव्य केशराशि विखर गई। सर्वत्र हर्षनाद 'हुआ।
पंचदिव्य प्रगट हुए थे। अ. ३८५ म. स्वामी के आहार दान के समय कौन-कौन
दिव्य प्रगट हुए थे? (१) वसुधारा ( स्वर्ण मुद्राओं) की वर्षा । (२) वस्त्रों की वर्षा । (३) पचरंगी पुष्प वृष्टि । .. (४) गगन में देव-दुदुभीकी घोषणा। (५) आकाश में अहोदानं अहोदानं का जयघोष