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प्र. ३५३ चन्दना को देखकर मूला सेठानी को क्या हुआ था ?
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धनावह के घर पर आ गई, और धनावह को पिताकी तरह श्रौर सेठानी मूला को माताकी तरह मानकर दिन-रात उनकी सेवा में लगी रहती । उसके शील व स्वभाव की सौम्यता देखकर धनावह उसे प्यार से 'चन्दना' कहकर पुकारने लगा ।
उ.
चन्दना का असीम सौंदर्यं और भावनाशील सहज स्नेह को देखकर मूला सेठानी भी रथिक पत्नी की भाँति सशंक हो गई।
प्र. ३५४ मूला सेठानी की शंका को पुष्ट करने के लिए कौनसी घटना घटी थी ?
एक दिन मध्यान्ह के समय धनावह सेठ बाहर से प्राया । उसने दासी को हाथ पैर धोने के लिए पानी लाने को कहा । दासी किसी कार्य में व्यस्त थी । चन्दना ने पिताजी की आवाज सुनी, वह स्वयं जल लेकर दौड़ी आई । सेठ वहुत थका हुआ धूप से क्लान्त दीख रहा था, पितृभक्तिवश चन्दना स्वयं ही जल लेकर