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विका देखा तो उसका रोम-रोम कांप उठा। _. फिर भी वह साहस और धीरज की पुत्तली थी .. उसने गरिएका से जब उसके काम के विषय में
पूछा तो उसने कह दिया-"माताजी! मैं ..... यह कार्य कभी भी नहीं कर सकती, आपकी
... एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ पानी में चली जायेगी। ..... मुझे मत खरीदिये। मैं आपके घर हरगिज
नहीं जा सकती। प्र. ३४७ वसुमती का कहना न मानने पर गरिएका पर
कैसी वीती? . गरिएका के सेवकों व दलालों ने वसुमतो को पकड़ कर ले जाने की और सीधे पांव न चलने पर घसीट कर ले जाने की धमकी दो। कहते है तभी कुछ ऋद्ध बंदरों को टोली अचानक गरिएका पर टूट पड़ी, उसके वस्त्र फाड़ डाले शरीर को नोंच-नोंच कर खून की धाराएँ वहा दी। वाजार में चारों और भगदड़ मच
गई, शोर-शरावा होगया , प्र. ३४८ वाजार में शोर-शराबा सुनकर वहां पर
किसने रुककर पूछताछ की थी?