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महावीर के पास आते, उनसे पूछते, पर वे मौनव्रत धारण किये ध्यान-मग्न रहते। लोग संगम की बात सच मानकर महावीर को मारते-पीटते, प्रहार करते। इस प्रकार संत्रास
देता था। प्र. २८२. म स्वामी को फांसी का उपसर्ग कहाँ पाया . : था? उ. तोसलि गांव में । प्र. २८३ म. स्वामी को फांसी का उपसर्ग कैसे आया था? उ. प्रभु तोसली गांव के बाहर उद्यान में ध्यानस्थ
खड़े थे। संगम ने गांव में जाकर चोरी की और चोरी के औजार लाकर महावीर के पास छिपा दिये। चोर का पता लगाते राजपुरुष महावीर के निकट पहुंचे। पास में शस्त्र रखे देखकर महावीर को ही चोर समझा और पकड़कर गांव के अधिकारी तोसलि क्षत्रिय के समक्ष उन्होंने प्रस्तुत किया। क्षत्रिय ने श्रमण महावीर से पूछा-'तुम कौन हो ?" महावीर मौन थे। दो-चार वार पूछने पर भी महावीर ने उत्तर नहीं दिया तो क्षत्रिय रुद्ध होकर