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________________ में कुछ भी जानकारी नहीं है। अतः यह प्रयास सबके लिए सहज समझ का व उपकारक होगा। आप अपने घर में अनेक प्रकार की आधुनिक पत्रपत्रिकायें लाते हैं किन्तु अपने परिवार के संस्कार संवर्धन के लिए धार्मिक पुस्तकें बहुत कम लाते हैं। अतः "महावीर जीवन बोधिनी' जैसी पुस्तिका को अवश्य अपनाइये और ज्ञान की अनुपम निधि को पाकर धन्य बनिये । श्री जिज्ञेगा मुनिजी का यह हिन्दी अनुवाद जैन साहित्य जगी को अनुपम देन है। उनका पुरुषार्थ मात्र सराहनीय ही नहीं वरन् अनुकरणीय भी है।.... ___ इसका पंजाव जैन सभा, कलकत्ता ने.प्रकाशन कर साहित्य के प्रति अपना अनुराग और संतो के प्रति श्रद्धा का परिदर्शन किया है। अतः सभा के सदस्यगण धन्यवाद के पात्र हैं। हम आशा करते हैं कि इस प्रश्नोत्तर पद्धति से हमारी ज्ञान-चेतना और अधिक तेजस्वी बनेगी। चाँदनी चोक, दिल्ली दि० २७-६-१९८५ गिरीश मुनि
SR No.010409
Book TitleMahavira Jivan Bodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishchandra Maharaj, Jigneshmuni
PublisherCalcutta Punjab Jain Sabha
Publication Year1985
Total Pages381
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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