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(९८ः ). प्र. २२६ म. स्वामो कुपिक सन्निवेश से विहार कर
कहाँ पधारे थे.? . उ. कुपिक सन्निवेश से विहार कर श्रावस्ती होते
हुए प्रभु हलिदुग गाँव की ओर जा रहे थे। प्र. २३० म. स्वामी को हलिदुग गाँव में क्या उपसर्ग
आया था ? उ. अग्नि का। प्र. २३१ म. स्वामी को अग्नि का उपसर्ग कैसे आयाथा? उ. __.. हलिद् दुग गाँव के बाहर एक विशाल वृक्ष
था। रात्रि में प्रभु महावीर उसी वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ खड़े थे। गौशालक भी साथ .'था। वह भी एक ओर बैठा रहा। इस मार्ग से गुजरने वाले अनेक यात्रियों ने भी रात्रि में वृक्ष के नीचे आश्रय लिया। शीतऋतु के कारण यात्रियों ने इधर-उधर से घास‘पात व लकड़ियाँ इकट्ठी कर आग जलाई और
रात भर तापते रहे । प्रातः सूर्योदय के साथ यात्रियों का काफला आगे बढ़ गया, पर किसी ने आग नहीं बुझाई.। हवा के वेग से आग बढ़ने लगी, गौशालक चिल्लाया-"भगवान !