________________
.
a
( ६७ ). "कैसे राजपुरुष हो तुम ! तुम्हें चोर और साहूकार की भी पहचान नहीं ? ये सिद्धार्थ राजा के पुत्र श्रमरण महावीर हैं, इन्हें कष्ट दे. रहे हो ? यदि कहीं देवराज इन्द्र कुपित हो.
गये तो तुम्हारी क्या दशा होगी?" . २२७ म. स्वामी का परिचय पाकर राजपुरुष ने:
क्या किया था ? श्रमण महावीर का परिचय जानकर राजपुरुष. ने तुरन्त कारागार से उन्हें मुक्त किया। उनके चरणों में गिरे और विनय पूर्वक क्षमा याचना करने लगे। प्रभु ने हाथ ऊपर उठा कर अभय
मुद्रा के साथ सबको अभय दान दिया । प्र. २२८ गौशालक ने उपसर्ग से घबरा कर म.स्वामी:
से क्या कहा था ? गौशालक बार-बार आते उपसर्गो से घबरा। उठा। उसने प्रभु से कहा- देवार्य ! आपके . साथ रहते हुए तो मुझे कष्ट उठाने पड़ रहे . हैं, जिनकी जीवन में आज तक कल्पना भी . नहीं की। पशु से भी बदतर मेरी दशा हो.
रही है. आप तो.मुझे कभी बचाते भी नहीं। . ... अतः अब मैं आपके साथ नहीं रहूँगा।" .
.