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प्र. २०५ म. स्वामी ने गौशालक से क्या कहा था ?
सत्य के परम आराधक महावीर ने कहा--- "गौशालक, तुम मिथ्या भ्रम में हो। वे पाश्र्वापत्य अनगार हैं और सच्चे श्रमण हैं।
तुमने उनका अनादर किया है। प्र. २०६ म. स्वामी कुमार सन्निवेश से कहाँ पधारे थे ? उ. चोराक सन्निवेश में। प्र. २०७ उस समय वहाँ का वातावरण कैसा था ? उ. उन दिनों राज्यों में परस्पर कलह और युद्ध
का वातावरण चल रहा था। एक दूसरे पर शत्रु राजा का भय छाया हुआ था। इसलिए एक सीमांत से दूसरे सीमांत में प्रवेश करने पर
वड़ी छानबीन और तलाशी ली जाती थी। प्र. २०८ म. स्वामी को चोराक के निकट किसने उपसर्ग
दिया था ? चोराक सन्निवेश में आने पर प्रारक्षकों ने महावीर का परिचय पूछा। वे श्रमरण रूप में तो उपस्थित थे ही, इसके सिवा अपना और क्या परिचय देते। वे मौन रहे। गुरु को मौन