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उ. प्रभु ने कहा-"मुझे आज उपवास है।" "प्र. १६७ म. स्वामी के उत्तर को सुनकर गौशालक ने
क्या किया था ? गौशालक प्रभु के साथ उपवास नहीं कर सका।
वह भिक्षा लिये सन्निवेश में गया। 'प्र. १९८ गोशालक का वहाँ किनसे मिलाप हुआ था ? उ. पार्श्वनाथ-परम्परा के स्थविर मुनि चन्द्र अपनी
शिष्य मंडली के साथ एक कुम्हार शाला में ठहरे
हुए थे। वहाँ पर गौशालक का मिलाप हुआ। 'प्र. १६६ गौशालक ने उनसे क्या पूछा था ? उ. चंचल और क्षुद्रस्वभावी गौशालक ने उनसे
पूछा-"तुमलोग कौन हो? 'प्र. २०० पार्श्वनाथ-परम्परा के शिष्य ने क्या उत्तर
दिया था? पापित्य श्रमण ने कहा-"हम निग्रन्थ
श्रमण हैं।" अ. २०१ गोशालक ने उनके उत्तर को सुनकर क्या
कहा था ? "वाह रे निर्ग्रन्थ ! इतना सारा ग्रन्थ (उपकरण) तो जमाकर रखा है, फिर भी अपने को निग्रन्थ बताते हो ? कैसा मजाक है यह ! निम्रन्थ .
उ.