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प्र. १६१ म. स्वामी ने प्रथम मासखमण का पारणा कहाँ
किया ?
चंपानगर में। 'प्र. १६२ म. स्वामी ने द्वितीय मासखमण का पारणा
कहाँ किया था ? 'उ. चम्पा नगर के बाहर। 'प्र. १६३ म. स्वामी नेतृतीय चातुर्मासके बाद किस ओर
प्रस्थान किया?
कुमार सन्निवेश की ओर।। प्र. १६४ म. स्वामी के समय किस परम्परा के संत
विद्यमान थे ? जैनधर्म के २३वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ
की परम्परा के संत विद्यमान थे। . . प्र. १६५ म. स्वामी से गौशालक ने क्या प्रार्थना
की थी ? भिक्षा का समय होने पर गौशालक ने प्रभु से कहा-"देवार्य ! भूख लगी है, भिक्षा के लिए
चलिये।" प्र. १६६ म. स्वामी ने गौशालक को क्या उत्तर
दिया था ?
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