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प्र. १८० म. स्वामी ने कोल्लाक से किस ओर प्रस्थान
किया था ? सुवर्ण खल की ओर ।
उ.
प्र. १८१ म. स्वामी ने सुवर्णखल के मार्ग में क्या भविष्यवाणी की थी ?
उ.
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पूछा - 'भाई !
प्रभु के पीछे गौशालक चल रहा था । रास्ते में एक स्थान पर ग्वालों की टोली जमी हुई थी । ग्वालों को इंडिया में कुछ पकाते देखकर गौशालक से न रहा गया। हंडिया में क्या पका रहे हो ?" ग्वालों ने गौशालक की ओर देखा और बोले - "खीर ।" नाम सुनते ही गौशलक के मुँह में पानी ग्रा गया, उसने प्रभु से कह - "देवार्य ! ग्वाले खीर पका रहें हैं, जरा ठहर जाइये, हम खीर खाकर चलेंगे ।"
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भगवान ने कहा- यह खीर पकेगी ही नहीं । वीच में ही इंडिया फट जायेगी, और खीर मिट्टी में मिल जायेगी ।"
प्र. १८२ म. स्वामी से भविष्य कथन सुनकर गौशालक ने वालों से क्या कहा था ?