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मलय-पवन दासी बन आई, मणि मडित सिरहाने की। मगल-कलश रखा सखियों ने, लोरी गाई मुलाने की। फूली मेहदी, हँसती चपा, पौधा गाये धान का। पुण्य-दिवस हम मना रहे है, महावीर भगवान का ॥
(१२) पलक वनी पूजा की थाली, हर आँचल पुचकार उठा। ममता झलक पड़ी आँखो से, विभुवन का सब प्यार लुटा ।। कजरी गाती, रस झलकाती, करुणा द्वारे तक आई। दर्शन की प्यासी अभिलापा, छद वदना के लाई।। तूफानो मे दीप जला फिर, मानव के उत्थान का। पुण्य-दिवस हम मना रहे है, महावीर भगवान का ॥
(१३) खग वृन्दो ने छेड़ी सरगम, पख हिला सम्मान किया। पुष्पो से लद गई लताये, जड-चेतन ने ध्यान किया। झिलमिल कुमकुम थाल सजाकर, किरन कामिनी मुस्काई । हर उमंग झूला सी झूली, हवा हिमानी गदराई । वरदानी- हाथो से मिलता, फल गगा स्नान का। पुण्य-दिवस हम मना रहे है, महावीर भगवान का ॥