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महका गुंजन, झूमा नंदन, रस बरसा मधुपान का। पुण्य-दिवस हम मना रहे हैं, महावीर भगवान का।
कंगना खनके बिदिया दमके, सुध-बुध भूली तरुणाई। मगन हुआ आनन्द द्वार पर, भटक रही थी अरुणाई॥ सजी दूधिया राहे जगमग, चमका ज्यो नभ का दर्पन । बिखरी बूंदे काँच सरीखी, चकराया था अपनापन ॥ बजी नौवते शुभ शहनाई, मौसम आया दान का। पुण्य-दिवस हम मना रहे है, महावीर भगवान का ॥
(१०) श्रद्धा के पावन पनघट पर, यश की राधा मुस्काई। हिरनी सी भोली पलको पर, स्वयं कल्पना भरमाई ॥ मगल शब्द गीत शहनाई, गूज उठा स्वर नारो का। जैसे बचपन लौट पडा हो, खुशियो का त्योहारो का ॥ मंत्र मुग्ध हो गई दिशाये, जादू था मुस्कान का। पुण्य-दिवस हम मना रहे है, महावीर भगवान का ॥
(११) ऋतुओ ने अभिषेक किया, सावन ने झूले डाल दिये। चंदा पलने मे आ बैठा, रवि ने झूमर वाँध दिये ॥