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जो श्रमण सस्कृति के अप्रतिम नायक युग बोध के चैतन्य प्रतीक
एव वीतराग विज्ञानता के मूर्तिमान स्वरूप थे
उन
तीर्थकर वर्धमान महावीर के पुनीत चरणो मे मेरे श्रद्धा प्रसून समर्पित है
कवि श्री सुधेश के स्वर मे स्वर मिलाकर मैं भी उनकी वदना करता ह
जिनके बदन ही भवाताप
हित दाह निकदन चदन हैं। इस आनन्दित कवि वाणी से
__ वदित वे त्रिशलानन्दन हैं । परम-पुनीत पच्चीस वें शतक पर भाव-भीनी विनयाञ्जलि
फर्म हजारीलाल शिखरचन्द जैन वस्त्र-विक्रेता अमरपाटन (म प्र)
-सहयोगी सस्थानसिं० हजारीलाल
सि० शिखरचन्द शिखरचन्द जैन
रतनचन्द जैन वस्त्र विक्रेता
वस्त्र विक्रेता सतना (म प्र)
सतना (म.प्र.)