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____ महावीर श्री का महापरिनिर्वाण
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MARHI
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2012
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कार्तिक कृष्ण अमावस की थी सुप्रभात वह मगल वेला। सिद्धालय में हुआ विराजित सन्मति प्रभु का जीव अकेला ॥ अप्ट कर्म कर नष्ट सिद्ध पद पा जाते है विशला नन्दन । जान शरीरी सिद्ध प्रभु के चरण-कमल मे शत शत वदन ।।
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