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प्रस्तुत प्रसग श्वेताम्बर आम्नायानुसार चित्रित । ले चले उसे वे वहाँ जहाँ पापी से पापी तिरते थे। अधमो से अधमो के भी दिन जिस समवशरण मे फिरते थे। हो गया हृदय का परिवर्तन सुनकर उपदेश अहिसा का। धारक भी वह होगया स्वय तत्काल दिगम्बर मुद्रा का ।।
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