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पापोदय से त्रिपृष्ठ नारायण सातवें नर्क में उत्पन्न
नारायण का नरंको जाना, सर्वज्ञो ने देखा है । उसको कौन बदल सकता जो, अमिट नियति की रेखा है | वव्हारभ परिग्रह से या, विपय-भोग परिणाम स्वरूप । आर्त-रौद्रध्यानो से मर कर गया सातवे नर्क कु- भूप ॥
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