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माहेन्द्र स्वर्ग में (त्रिदंडी साधु अग्निभूत का जीव) । (त्रिदंडी लीधु अग्निभूत का जीव)
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देह त्याग कर साधु दिदडी स्वर्ग पाचवे पहुंचा। कर्म चेतना का फल भोगा शुभ ऊँचे से ऊंचा ।। निज ज्ञायक को लक्ष्य बनाने वाली ज्ञान चेतना है। उसमे विभव विभाव नहीं है वह स्वभाव ही अपना है ।।