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वीर शासन से प्रभावित व्यक्तित्व
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श्रमणोत्तम गौतम इत्यादिक, ग्यारह प्रमुख सघ गणधर थे । वारिपेण आदिक अद्वाईस, सहस्र विविध ज्ञानी मुनिवर थे |
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छत्तीस सहस्र आर्यिकाओ मे, सर्व प्रथम थी सती चदना । श्रावक और श्राविका चौलख, करे वीर की सतत वन्दना ||
२२६
श्राविकोत्तम राजा श्रेणिक, बिम्बसार थे सघ अग्रणी । महिलाओ की सघ नायिका, सम्यक्त्वी थी राज्ञि चेलनी ॥
२२७
वीर सघ के समवशरण मे थे शतेन्द्र नर - सुर- विद्याधर । पशु-पक्षी तिर्यञ्च सभी थे, महावीर स्वामी के अनुचर ॥
२२८
राजा श्रेणिक वौद्ध धर्म तज, क्षायिक सम्यक्त्वी हो जाते । वर्द्धमान के पद-मूल में, भावी तीर्थङ्कर पद पाते ।।
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२२६
साठ हजार किये प्रभुवर से, प्रश्न उन्होने समवशरण में । फल स्वरूप अनुयायी बन कर, भूमण्डल ही गिरा चरण मे ।।
२३०
एक कूप मंडूक भक्ति वश, कमल पखुडी लेकर आया । क्षेणिक के गजराज पैर से कुचल शीघ्र ही सुर पद पाया ॥
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