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अर्द्ध मागध जाति के देव या एक प्रकार का अतिशय कहते हैउनके द्वारा उनका उपदेश १२ कोष लवी-चौड़ी गोल विराट धर्म सभा मे पहुँचता था।
महावीरश्री के धर्मोपदेश का प्रभाव
भ० महावीर स्वामी ने अपने हित-मित मयी दिव्योपदेश द्वारा उस समय के लोक में प्रचलित सभी तरह के अन्याय, अत्याचार,अनाचार, दुराचार, दुष्प्रथाएँ, दुराग्रह एवं पोप-पन्थो के विरुद्ध सत्याग्रह किया और जन-साधारण को सन्मार्ग का सदुपदेश दिया। भगवान के उपदेश से प्रभावित होकर अनेक राजा-महाराजाओ ने अमीरो और गरीवो ने, विद्वानो और अल्पज्ञो ने उच्च और दलितों ने, छूत और अछूतों ने, पशु और पक्षियो ने सभी ने पतित-पावन विश्व (जैन) धर्म धारण कर प्राप्त जीवन को सफल बनाया। उस समय भ० महावीर स्वामी द्वारा प्रचारित जैन-धर्म आज सरीखे तग घेरे मे बद नही था, उसका दरवाजा तो सभी के लिए खुला था। इसीलिए उस समय इस धर्म ने सार्वभौमिकता प्राप्त कर ली थी। ___ लोकोपकारी भ० महावीर ने अगणित प्राणियो को अज्ञानान्धकार से निकालकर यथार्थ वस्तु स्वरूप का ज्ञान कराया, मोह मिथ्यात्व और मूर्खता का आवरण हटाकर जीवो को सच्चा रास्ता सुझाया और प्रचुर मात्रा में प्रचलित लोक मूढताओपाखण्डो-रूढ़ियों और दुराग्रहो को हटाया, पतितो को पवित्र किया, अछूतो को छूत बनाकर गले लगाया, हिंसा को बन्द कराकर "खुद जियो और दूसरो को जीने दो" का सबक पढाया, कायरता को हटाकर जनता को स्वावलम्बी बनाया, वैमनस्यता को पछाड कर विश्व मे भ्रातृत्व भाव को फैलाया। इस तरह भ० महावीर स्वामी ने अपने सदुपयोगी सदेशो द्वारा ससार को