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कर रहे पहल हम सभी वाह वाह की फैला रहे रोशनी जो दूर के तम का
करती हरण
पर अन्तस् मे सोये
तामस का
कहाँ होता अनावरण ? मेरी पीढी के लोग तुम्हे क्या हो गया है क्या तुम नही जानते अपनी औकात ?
?
तुम्हारे हाथो मे है सूरज का उजाला
अंधेरे की कैसी सौगात ?
विवेक से काम लो
अन्धेरे के गीत
मत गाओ
'अरुण' का प्रकाश यदि न दे सको
तो पावस अमा की निशा का तम मत वांटो
अपना चिरन्तन मूल्य
इस तरह शून्य आकाश मे
मत आंको
उठो, देखो तुम्हारी, जगवानी को