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मेरा नमन स्वीकार हो
श्री नारायण 'परदेशी' सम्पादक 'बुजन'
पो० बा० नं. ६ खुरई (जिला सागर) म०प्र० करुणा के 'नीरद'
महावीर नेमानवता को, दुराचार की ज्वाला में धधकते देख ! सांसारिक-सुखो का 'परित्याग' कर !! - व्याप्त-दुराचार उन्मूलन के लिएजीवन-बलिदान की प्रतिज्ञा कर,
त्याग के मार्ग पर !? क्षमता का 'कवच' पहिने ? आत्मवल की 'लगाम' पकड़े ?? विश्वास के 'अश्व' पर सवार हो, जगत के 'प्रहारो' को 'वक्ष' दिखा
मजिल की ओर 'प्रस्थान' किया ?? सतत् बढ़ते रहे मनन् करते रहे सुखो का, दुखो का जनम का, मरण का
भव-मोक्ष, मार्ग का