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यो वर्ष वहत्तर रहे वताते पथ निश्चय व्यवहार का। आनन्दित त्रैलोक्य हुआ है ढोंग मिटा ससार का ॥
शुभ दीपावलि का दिन पावन, निर्वाण दिवस पावापुर में । सम्पन्न हुआ देवो द्वारा हम दीप जलाते घर-घर में ।। है हुया हमारा विरह काल ढाई हजार इन वर्षों का। पर अव सुयोग मिल पाया है, हमको अपने उत्कर्मों का।। यह युग युग अमर रहेगा मंगल गायन धर्माधार का। आनन्दित त्रैलोक्य हुआ है ढोग मिटा ससार का ।।
૨૭ मुझ में तो किचित् शक्ति नही पर भाव भक्ति से आये है। जिनवर से दृष्टि सुदृष्टि हुई अतएव वीर गुण गाये है ।
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समन्वय
निश्चय की मंजिल पाने को
सतों ने जो पंथ वनाया। निश्चयान व्यवहार्य कार्य
वह व्यावहारिक मार्ग कहाया । मत लडो पकड़ कर एक पक्ष
यह जैन धर्म समझौता है। हम वनें समन्वयवादी अब--
यह अनेकान्त का न्योता है ।।